मैं मैं हूँ और तुम तुम हो पर भूलना चाहती हूँ मेरा मैं और याद रखना चाहती हूँ सिर्फ तुम्हारा तुम इसलिए घण्टो सुनती हूँ तुम्हारी बातें गीत बनकर ढलना चाहती हूँ सिर्फ तुम्हारे शब्दों में जानते हुए भी तेरे हर सवाल का जवाब अच्छा लगता है अनजान बने रहना क्योंकि बनना चाहती हूँ तुम्हारी पसन्द का जवाब पहेली सी बनी रहती हूँ क्योंकि सुलझना चाहती हूँ सिर्फ तुम्हारी समझ से भूलकर अपना नजरिया देखना चाहती हूँ दुनिया को अब सिर्फ तुम्हारी नजर से... नए साल की शुरुआत प्रेम कविता से💐