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समय को पकडऩे चली थी मैं मैने कहा    तू क्यों हर


समय को पकडऩे चली थी मैं
मैने कहा
   तू क्यों हर पल भागता फिरता है
   तेरा एक छोर पकड़ती  हूं
   तू दुसरे छोर से निकल जाता है
   मेरे हाथ क्यों नहीं आता
   तू रुके तो तुझे संवार लूं
   बहते पलो की सलवटे निकाल लूं
   अधुरा गीत सा बजता रहता है
   आ तेरी धुन पुकार लूं
   समय चलता रहा और मेरे कहे पे
   ठहाके लगा के हंसता रहा
   बोला पागल
   मेरे पीछे मेरे लिए मत भाग
   तू थमी रह  एक जगह
   मुझे मत पुकार
   हवा के झोंका सा उड़ता रहूंगा
   रुक गया तो कयामत को चुनुंगा
   तुम समझती क्यूं नहीं 
   मेरे साथ बहती क्यूं  नही 
   नहीं हूं मैं तेरी किसी रेस का घोड़ा
   मेरा तो वजूद ही है चलते रहना 

   सुन के मैं घबराई
   बात उसकी मेरी समझ में आई
   फिर उसने अपना एक टुकड़ा दिया।
   मैंने उस पे नाम तेरा लिख ​​दिया
   अब कहां तू जा पाएगा
   याद बन के मेरे रूह में ही बस जाएगा
   तू समय सा उड़ता रहा
   मैं हर पल की याद की चादर बुनती रही
   तू हर पल बिछड़ता  रहा
   मैं हर पल को संजोती रही

©A S
  #समय#बन्धन#अधुरागीतसा#पागल