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अध्यापक का महत्व एक आदर्श अध्यापक या शिक्षक का अपन

अध्यापक का महत्व एक आदर्श अध्यापक या शिक्षक का अपना ही संसार है जिसमें उसके विद्यार्थी बसते हैं शिक्षक शिक्षा के प्रसार में ही अपना जीवन लगाते हैं छात्रों का ही तो उनके लिए सर्वोपरि है मेरे एक छात्र मित्र शिक्षक हैं वह प्रत्येक 4:00 बजे तैयार होकर पढ़ने निकलते हैं और देर रात तक वापस घर लौटते हैं बस दोपहर में भोजन के लिए समय निकाल पाते हैं किसी से भी धन की याचना नहीं करते जो कुछ भी संरक्षण होने दे देते हैं उसी में संतुष्ट हो जाते हैं ना लोग ना लालच ना क्रोध और ना हम उनके बाहर संकट आने पर भी उनसे किसी से सहायता नहीं मांगी मैं सोचता हूं कि ऐसे बहुत से शिक्षा होंगे जो निष्काम भाव से बच्चों का भविष्य संवारने में चंदन होंगे बल्कि इससे भी बढ़कर महान योगदान करते हैं भारत की धरती पर सक्रिय ऐसे शिक्षकों को नमन करना चाहिए शिक्षक ही भारत का नया निर्माण कर रहे हैं सरस्वती पुत्र शिक्षा गण पृथ्वी पर परिवार समाज और देश के सभी बड़े हैं है पीसी हैं उनकी योग्यता और कुशलता का नया संसार चर्चित होता है केवल बच्चे ही नहीं युवा पीढ़ी और पूर्ण वृद्धि उन्हें सीखते हैं वैसे भी शिक्षा तो जीवन भर चलती रहती है सतत बदलती तक शिक्षा कोई भी हो सकती है शिक्षार्थी भी एक समय में कई मानव या तो सीख रहा होता है या शिकारा होता है मनुष्य या तो शिक्षा है या शिक्षार्थ इस प्रकार शिक्षा का मूल मंत्र सब को समझना और मानना चाहिए जब कहीं शिक्षा का आदान-प्रदान समाप्त हो जाता है वह पतन की स्थिति असंभव वह भावी है इसलिए शिक्षा और विद्यार्थी का भाव व कर्तव्य जीवन को सुधारने का मार्ग है एक सफल छात्र ही आदेश शिक्षा बनाने के पास रखता है वही एक सफल शिक्षक एक जिज्ञासु छात्र की पात्रता अनिवार्य यह दोनों भूमि का एक दूसरे के पूरक हैं

©Ek villain #Techars 

#GandhiJayanti2020
अध्यापक का महत्व एक आदर्श अध्यापक या शिक्षक का अपना ही संसार है जिसमें उसके विद्यार्थी बसते हैं शिक्षक शिक्षा के प्रसार में ही अपना जीवन लगाते हैं छात्रों का ही तो उनके लिए सर्वोपरि है मेरे एक छात्र मित्र शिक्षक हैं वह प्रत्येक 4:00 बजे तैयार होकर पढ़ने निकलते हैं और देर रात तक वापस घर लौटते हैं बस दोपहर में भोजन के लिए समय निकाल पाते हैं किसी से भी धन की याचना नहीं करते जो कुछ भी संरक्षण होने दे देते हैं उसी में संतुष्ट हो जाते हैं ना लोग ना लालच ना क्रोध और ना हम उनके बाहर संकट आने पर भी उनसे किसी से सहायता नहीं मांगी मैं सोचता हूं कि ऐसे बहुत से शिक्षा होंगे जो निष्काम भाव से बच्चों का भविष्य संवारने में चंदन होंगे बल्कि इससे भी बढ़कर महान योगदान करते हैं भारत की धरती पर सक्रिय ऐसे शिक्षकों को नमन करना चाहिए शिक्षक ही भारत का नया निर्माण कर रहे हैं सरस्वती पुत्र शिक्षा गण पृथ्वी पर परिवार समाज और देश के सभी बड़े हैं है पीसी हैं उनकी योग्यता और कुशलता का नया संसार चर्चित होता है केवल बच्चे ही नहीं युवा पीढ़ी और पूर्ण वृद्धि उन्हें सीखते हैं वैसे भी शिक्षा तो जीवन भर चलती रहती है सतत बदलती तक शिक्षा कोई भी हो सकती है शिक्षार्थी भी एक समय में कई मानव या तो सीख रहा होता है या शिकारा होता है मनुष्य या तो शिक्षा है या शिक्षार्थ इस प्रकार शिक्षा का मूल मंत्र सब को समझना और मानना चाहिए जब कहीं शिक्षा का आदान-प्रदान समाप्त हो जाता है वह पतन की स्थिति असंभव वह भावी है इसलिए शिक्षा और विद्यार्थी का भाव व कर्तव्य जीवन को सुधारने का मार्ग है एक सफल छात्र ही आदेश शिक्षा बनाने के पास रखता है वही एक सफल शिक्षक एक जिज्ञासु छात्र की पात्रता अनिवार्य यह दोनों भूमि का एक दूसरे के पूरक हैं

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