जब पहली बार तुम्हे देखा था बेहद ही करीब से देखा था बहुत ही खूबसूरत लगी थी तुम अरे तुम कहां दिखी थी दिखी तो तुम्हारी बस बड़ी-बड़ी आंखे थी तुम तो हद थी मुझे देख कर भी अपना वो दुपट्टा जिसे तुमने हेलमेट की तरह अपने चेहरे से चिपका रखा था उसे नहीं उतारा था हद था मैं भी तुम्हारे आँखों मे झाँक कर ही तुमसे इश्क़ करने लगा था पहली मुलाकात में बस इतना ही कुछ हो पाया था पर तुम्हे देखने का सिलसिला अभी रुका नहीं था हद तो पार कर ही गया था मैं तुमसे पूछे बिना,तुम्हारी आँखों से पहली नजर का प्यार करने लगा था तुमसे दूसरी बार मुलाकात अपने कॉलेज के बाहर गुपचुप के ठेले के पास हुई थी तुम वहाँ अपनी दोस्तों के संग गुपचुप खाने वाली थी आज पक्का तुम मुझे दिखने वाली थी और जो तुम एक बार दिखी ना आईना शर्मा जाए कुछ ऐसी ही दिखी थी और वो गुपचुप का स्वाद मुझे मीठा लगने लगा था ये तो हद है न यार जिधर भी देख रहा था बस तुम्हे ही देखने लगा था एक दिन मौका मिल ही गया आखिर कुछ कहने का तुमसे जो मन मे था जाहिर करने का तुमसे कॉलेज के अंतिम दिन में तुमने सामने ही खड़ी थी अपने खुले बाल के संग मैं भी बड़ी हिम्मत जुटा कर तुम्हारी औऱ बढ़ चला था आज सब उड़ेल देना चाहता था जितना शायद तुमने भी महसूस किया था सब आज जाहिर कर देना चाहता था पर ये तो हद हो गई जुबां फिर से नाकाम हुई और आँखे तुमसे मिल न पायी तुम चली गई एक बार फिर उसके बाद न तुम दिखी और ना तुम्हारी बड़ी-बड़ी आंखे –अभिषेक राजहंस #NojotoQuote ये तो हद हो गयी ना