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तराशे पत्थरों के बीच मोम सी पिघलती हूं कतरा कतरा म

तराशे पत्थरों के बीच मोम सी पिघलती हूं
कतरा कतरा मैं रोज जलती हूं।
मेरी पहचान मुझमें सिमटती है बोलती भी है
सोचती हूं  कभी  ! खुद की  
छोटी सी गलतियाँ खुद में
टटोलती भी हूं।
दिल में उठते हुए तूफान हों बवंडर हो 
रातभर जूझते बचकर भी मैं निकलती हूं।
लोग हैरान परेशान  से  घूरते हैं मुझे
हर सुबह अतरंगी मुस्कान पहनकर
घर से मैं जब निकलती हूं।
   
           प्रीति # स्त्रीत्व 
This one for you Elisa Mohanty #beingwomen

तराशे पत्थरों के बीच मोम सी
पिघलती हूं
कतरा कतरा मैं रोज
जलती हूं।
मेरी पहचान मुझमें सिमटती है
तराशे पत्थरों के बीच मोम सी पिघलती हूं
कतरा कतरा मैं रोज जलती हूं।
मेरी पहचान मुझमें सिमटती है बोलती भी है
सोचती हूं  कभी  ! खुद की  
छोटी सी गलतियाँ खुद में
टटोलती भी हूं।
दिल में उठते हुए तूफान हों बवंडर हो 
रातभर जूझते बचकर भी मैं निकलती हूं।
लोग हैरान परेशान  से  घूरते हैं मुझे
हर सुबह अतरंगी मुस्कान पहनकर
घर से मैं जब निकलती हूं।
   
           प्रीति # स्त्रीत्व 
This one for you Elisa Mohanty #beingwomen

तराशे पत्थरों के बीच मोम सी
पिघलती हूं
कतरा कतरा मैं रोज
जलती हूं।
मेरी पहचान मुझमें सिमटती है
preetikarn2391

Preeti Karn

New Creator