तसीर ख़ामोशियों का हम तुमसे क्या कहें, चुप रहें तो जी बोले तो ज़ुबाँ जले। यों तो बहुत आम हैं ये सब्ज़ सिलिसिले पुकारने को आजिज़ी कोई नाम तो मिले! उड़ने का ख़्वाब हर किसी के दिल में जज़्ब है, पर जिसको देखिए वो ही कफ़स में है। तेरे अश्क़ो-अशआर बशौख पी भी लें, साक़ी मुख़्तसर हो तो, वो जाम भी तो दे... हर कोई संभाले बैठा है छलके न पैमाना, ज़िन्दगी किसी को यों गम बेहिसाब तो न दे! अपनो से नज़र चुराकर कोई मिले तो क्या मिले? यों तो कई काफ़िले कई कारवाँ मिले, किस दर पे कहो तुमसे हम बार हाँ मिलें? #trials #life