छल कपट का नाम नहीं निस्पृह भाव वो रखती है अपने कर से रोटी खिला के आंचल से गात को ढंकती है।। निस्पृह :- इच्छारहित कर :- हाथ गात :- शरीर Hindi Prabhat द्वारा दी पहली चुनौती पूर्ण #हिन्दीप्रभात #हिन्दीप्रभात1 #हिन्दीप्रभातजनवरी2021