मैं पुतला हूँ उसूल-ए-औसाफ़ का और वो नूर-ए-नज़र, शमशीर से भी तेज चलती है! मुस्कुरा कर देखती है जब, गुलिस्तां बन जाता है! वो रेगिस्तान जो काफिरों की प्यास तक न बुझाता है! अज़्म-ए-सफर कर चलती हैं, जब यादें जहन में मेरी वो आईना भी मुझे न जाने क्यूँ उसकी शक़्ल दिखाता है! रौनक-ए-सुकून है चेहरे पर तेरा किस्सा सामने आने से पर न जाने क्यूँ एक मलाल-ए-दबीश दिल में अपना घर कर जाता है! ©Sandhya Maurya #goodvibes #postivity #Sword #hindi_shayari #hindi_urdu_shayri_poetry #Waqt #lovequotes #urdu_shayari #urdu_quote # #Loneliness