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लघुकथा *पिता स्वरूप पति* लंबे अरसे के इंतज़ार के

लघुकथा

*पिता स्वरूप पति*

लंबे अरसे के इंतज़ार के बाद आखिर एक दिन सुभाष ने अपने घरवालों से बात कह ही दी....
*उसे अनिता से शादी करनी* *है रिश्ते की बात करने उनके यहाँ जाए*
ये शब्द सुनकर उसके पिता ने गुस्से से उनकी ओर देखा और कह दिया हममे से किसी को वो लड़की पसन्द नही तुम्हे उसे भूलना होगा। उसने भी कह दिया भूलने का सवाल ही पैदा नही होता,शादी करूँगा तो सिर्फ अनि से आपका आशिर्वाद हो तो अच्छी बात है,अगर नही तो कोर्टमैरिज करके ले जाऊंगा हमेशा के लिए इस घर से रिश्ता तोड़कर। फिर क्या बेटे  के दूर होने के भय से शादी के लिए हां तो कह दी लेकिन हर कदम पर अनिता के घरवालों के सामने अजीबो गरीब शर्त रखकर। अनिता आत्मसम्मानी लडक़ी थी। जो कभी कोई गलत  बात बर्दास्त नही करती ,हमेशा सत्य के मार्ग पर अडिग रहती ,लेकिन  उस समय अपने साथी से किये वादे के लिए चुपचाप सारे दर्द सह रही थी क्योंकि सुभाष ने कहा था शादी तक बस चुप रहना। अनिता के पिता को हर बात अपने शर्तों से अपमानित करते लड़के के घरवाले क्योकि उन्हें पता था अनिता अपने पिता की लाडली है उसके खुशी के लिए वो हर अपमान सर झुकाकर सहेंगे।
सुभाष की कोई बहन नही थी इसलिए उनके परिवार वालो को  एक पिता का फर्ज एवम दर्द का आभास नही था।  समाज की नजर में रिश्ता टूटने की बदनामी के ड़र से एक बेटी का पिता चुप है लग रहा था लोगो को,पर सच तो ये था ,जो भी हो रहा था वो सिर्फ प्रेमवश हो रहा था एक पिता का बेटी के लिए अथाह प्रेम ,चाहता तो लड़का उसकी लाडली को भगाकर ले जा सकता था,लेकिन एक पिता के सम्मान का ध्यान रखते हुए उन्होंने रिश्ता भेजकर पिता के मर्जी से उनकी बेटी से व्याह  करने की चाह रखी।      
  लड़के का लड़की के पिता की ही तरह  लड़की का खयाल रखने और उनकी बेटी के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए हमेशा आगे  ढाल बनकर खड़े रहने के वादे से ही उस पिता ने अपने बेटी का हाथ उनके साथी के हाथ मे देने का निर्णय लिया। 



✍️अनिता सुभाष देशमुख पिता स्वरूप पति
लघुकथा

*पिता स्वरूप पति*

लंबे अरसे के इंतज़ार के बाद आखिर एक दिन सुभाष ने अपने घरवालों से बात कह ही दी....
*उसे अनिता से शादी करनी* *है रिश्ते की बात करने उनके यहाँ जाए*
ये शब्द सुनकर उसके पिता ने गुस्से से उनकी ओर देखा और कह दिया हममे से किसी को वो लड़की पसन्द नही तुम्हे उसे भूलना होगा। उसने भी कह दिया भूलने का सवाल ही पैदा नही होता,शादी करूँगा तो सिर्फ अनि से आपका आशिर्वाद हो तो अच्छी बात है,अगर नही तो कोर्टमैरिज करके ले जाऊंगा हमेशा के लिए इस घर से रिश्ता तोड़कर। फिर क्या बेटे  के दूर होने के भय से शादी के लिए हां तो कह दी लेकिन हर कदम पर अनिता के घरवालों के सामने अजीबो गरीब शर्त रखकर। अनिता आत्मसम्मानी लडक़ी थी। जो कभी कोई गलत  बात बर्दास्त नही करती ,हमेशा सत्य के मार्ग पर अडिग रहती ,लेकिन  उस समय अपने साथी से किये वादे के लिए चुपचाप सारे दर्द सह रही थी क्योंकि सुभाष ने कहा था शादी तक बस चुप रहना। अनिता के पिता को हर बात अपने शर्तों से अपमानित करते लड़के के घरवाले क्योकि उन्हें पता था अनिता अपने पिता की लाडली है उसके खुशी के लिए वो हर अपमान सर झुकाकर सहेंगे।
सुभाष की कोई बहन नही थी इसलिए उनके परिवार वालो को  एक पिता का फर्ज एवम दर्द का आभास नही था।  समाज की नजर में रिश्ता टूटने की बदनामी के ड़र से एक बेटी का पिता चुप है लग रहा था लोगो को,पर सच तो ये था ,जो भी हो रहा था वो सिर्फ प्रेमवश हो रहा था एक पिता का बेटी के लिए अथाह प्रेम ,चाहता तो लड़का उसकी लाडली को भगाकर ले जा सकता था,लेकिन एक पिता के सम्मान का ध्यान रखते हुए उन्होंने रिश्ता भेजकर पिता के मर्जी से उनकी बेटी से व्याह  करने की चाह रखी।      
  लड़के का लड़की के पिता की ही तरह  लड़की का खयाल रखने और उनकी बेटी के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए हमेशा आगे  ढाल बनकर खड़े रहने के वादे से ही उस पिता ने अपने बेटी का हाथ उनके साथी के हाथ मे देने का निर्णय लिया। 



✍️अनिता सुभाष देशमुख पिता स्वरूप पति