कभी एक अभावग्रस्त बेटे ने कर्ज़ लिया था (कैप्शन में पूरी कविता) कभी एक अभावग्रस्त बेटे ने कर्ज़ लिया था अपनी मेहनत से चाँद तारे तक पहुँचने की जिद करता था किस्मत उसकी कुछ खट्टी थी, थोड़ी मीठी थी चाँद की बस्ती ना मिली, पर उसकी इमारत आसमान से जा मिली बीवी भी सीमेंट सा मिली, जितना पानी मिलाया खारा सा उतनी कठोर बन उस घर की नींव बनी