सोचता हूँ कि मैं ज़िंदगी की एक कहानी लिखूँ ।। वक़्त कट रहा है जो इन दिनों वो निशानी लिखूँ ।। इससे पहले ये ज़िंदगी बहुत खूबसूरत ही गुजरी, सोचता हूँ कि ज़िंदगी की वो मैं शादमानी लिखूँ ।। कभी सोचता हूँ कि लिखूँ पल-भर की खुशियाँ, कभी सोचता हूँ कि बस गम-ए-ज़िन्दगानी लिखूँ ।। ज़िंदगी किस तरह से उतारूँ अपने लफ़्ज़ों में मैं, कोई खूबसूरत गज़ल ही लिखूँ या कहानी लिखूँ ।। कहाँ से शुरु करुँ "सुबाष" और कहाँ करुँ अंत मैं, खुशियाँ लिखूँ या अपनी आँखों का पानी लिखूँ ।। ©SUBASH YADUVANSHI #गज़ल #ज़िंदगी #Life #Life_experience #subashyaduvanshipoetry #कविता #मेरी #रचना #जीवन #Flower