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कई जज्बात छुपे है । तुम कहो ना कहो पर कई राज छुपे

कई जज्बात छुपे है ।
तुम कहो ना कहो
पर कई राज छुपे है ।।

अपनी मुलाकातो का सफर
हम कैसे भूल सकते है ।
तुम्हारा रुठना झगडना
हम कैसे सह सकते है ।।

बाहर निकलने पर तुम्हे
हमेशा भूक लगती थी ।
पानी कि नही 
तुम्हे मिरिंडा कि प्यास लगती थी ।।

चाय तुम्हारी ईतनी अच्छी थी
कि वो पिते हि कईयों कि चाय,
हमेशा के लिए छुट गई ।
तुम्हारे साथ घुमते घुमते
मेरी जेब न जाने कितनी बार लूट गई ।।

मैने हर देश का नक्शा 
देखा है, तुम्हारी रोटियो में ।
हार गया मै हरबार
प्यार कि कसोटियो में ।।

घर मे कब कहा क्या रखा है
मुझे ईतना है पता कि ।
आदेश बांदेकर जी अगर आए 
तो मै हो जाऊंगा लापता ।।

           गपशप मै तुम होती हो ईतनी दंग                           
कि कब बारा बजे
                                   नहि पता चलता                                            
जब तुम हो मेरे संग ।।

©Mangesh P Desai
  #गहरे_कहि_दिल_में