तलबगार नहीं सिर्फ तेरे साथ का, तेरी मोहब्बत की भी जरूरत थी मुझे। रुकसत हुए तुम मेरा चेहरा देख कर, आंखों में दबी आरज़ू पढ़ लेते तुम, सिर्फ उसी की ही उम्मीद थी मुझे। मेरी अधूरी मोहब्बत का इल्ज़ाम किसपे आएगा? #शायरी_दिल_की #दिल_धड़कने_दो #आज_की_शायरी