नारी तेरी करुण कहानी.. भर आवे अंखियन में पानी.. कोउ नहि महि तुम्ह सम बलिदानी.. तुम करुणा का हो भंडार.. धन्य धन्य भारत नार... कहीं पिता की आन बचाये.. कहीं पति घर बार सजाये.. ममता का सागर छलकाये.. सब पर तेरा प्यार दुलार.. धन्य धन्य भारत की नार.. सबकी खुशियों का धर ध्यान.. संस्कृति के गुणधर्म निभान.. संयम शील के चरित महान.. बांधे बंधन नार अपार.. धन्य धन्य भारत की नार.. मर्यादा से पाँव बधें हैं.. तनिक भूल भई रार मचे हैं.. तानों के अम्बार लगे हैं.. राहों पर तेरी अंगार.. धन्य धन्य भारत की नार.. कितना करती सब कुछ सहती कंठ भरे पर कुछ ना कहती पावन गंगधार सी बहती नैनों से असुवन जलधार.. धन्य धन्य भारत की नार.. नीलकंठ सा जीवन लीन्हा विष धर कंठ सुधा तज दीन्हा पीर नार की कोउ ना चीन्हा तुम्हें नमन है बारम्बार.. धन्य धन्य भारत की नार.. ©Rakesh Kumar Soni #नारी नारी तेरी करुण कहानी.. भर आवे अंखियन में पानी.. कोउ नहि महि तुम्ह सम बलिदानी.. तुम करुणा का हो भंडार.. धन्य धन्य भारत नार... कहीं पिता की आन बचाये..