रूह की मुख़्तसर आवाज़, मेरी ग़ज़ल, बन गई तरन्नुम ओ साज, मेरी ग़ज़ल दिल में कई जज़्बात थे मचल रहे, उनकी बन गई आवाज़, मेरी ग़ज़ल बहुत वक्त हुआ दिल का हाल सुनाए हुए, बन गई मेरे दिल की पुकार, मेरी ग़ज़ल ख़ुद को ख़ुद में समेट लिया करते हैं हम अक्सर, ख़ुद से मेरा बाहर आने का है रास्ता, मेरी ग़ज़ल ज़िंदगी में आज तक सीखा हमने सिर्फ़ सब्र करना, दिल की बेसब्री आख़िर सुना ही गई, मेरी ग़ज़ल #rztask367 #rzलेखकसमूह #restzone #rzwriteshindi #collabwithrestzone #yqrestzone #yqdidi #rzpoonam Pic credit google