आज उनको देखा वर्षों से रूका काफिला लगा जैसे हो चला बातें तो करते रहते हैं स्पष्ट बात , निर्भीक इरादा और अंतर्मुखी स्वभाव की नहीं पायी और कहीं कला।। जब जब भी देखता हूं दिल कहता है डायमंड है ग्रेनाइट को तराश देगा पानी हुआ तो डूबा।। लम्बी बातें होती थीं लम्हें छोटे पड़ते थे खूबसूरती की बातों पर बस हम उनको रिझाते थे कभी चावल कढी की बातें कभी राजमा का स्वाद कभी बच्चों के नखरे पर होता था लम्बा संवाद अब बच्चे रखते साइड कट दाढ़ी में लगते रंगरूट जब उन्होंने बात करवाई मेरे पसीने बस गये छूट।। ©Mohan Sardarshahari डायमंड