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केला ना जाति, धर्म, मज़हब mein मैं करता हूं koi

केला

ना जाति, धर्म, मज़हब mein 
मैं करता हूं koi भेद 
फ़िर भी मैं अकेला हूँ 
बच्चों, बड़ों सबका पसंदीदा हूँ
फ़िर भी मैं अकेला हूँ 
मैं ना करता लिंग भेद फ़िर 
भी मैं अकेला हूँ 
हर सीजन में बिकता हूँ
फिर भी तन्हा रहता हूँ 
रहता हूँ फौजों के बीच 
मगर 
फिर भी मैं अकेला हूँ 
बिकता हूं दर्जन के भाव 
मगर
फ़िर भी मैं अकेला हूँ
स्वाद मेरा लाजवाब है 
खाने में स्वादिष्ट हूँ
खाने वालों को मैं 
रखता हृष्ट-पुष्ट हूँ
फिर बोलो फलों का राजा आम हुआ कैसे?
मैं ही फलों का  राजा हूँ !
सुबह में खाओ या खाओ शाम 
मैं रहता हरदम Taro ताजा हूँ
दो शब्दों का नाम है मेरा 
फ़िर भी मैं अकेला हूँ 
सब फल मुझ बिन अधूरे हैं 
मगर
फ़िर भी मैं अकेला हूँ
ज्यादा ना पहेली बुझाऊंगा 
मैं अब अपना नाम बताऊंगा 
आपकी जुबान पर नाम है मेरा 
बताओ मैं हूं कौन ?
हां हां भाई मैं केला हूँ
हां हां भाई मैं केला हूँ

©सुशांत राजभर
  #केला 

ना जाति, धर्म, मज़हब mein 
मैं करता हूं koi भेद 
फ़िर भी मैं अकेला हूँ 
बच्चों, बड़ों सबका पसंदीदा हूँ
फ़िर भी मैं अकेला हूँ 
मैं ना करता लिंग भेद फ़िर

#केला ना जाति, धर्म, मज़हब mein मैं करता हूं koi भेद फ़िर भी मैं अकेला हूँ बच्चों, बड़ों सबका पसंदीदा हूँ फ़िर भी मैं अकेला हूँ मैं ना करता लिंग भेद फ़िर #Society

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