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तेरे यादों के शहर में मायूस फिरता हूँ, कभी संभलता

 तेरे यादों के शहर में मायूस फिरता हूँ,
कभी संभलता हूँ कभी गिरता हूँ..!

डूबा रहता हूँ अजीब से जंजाल में,
उभरना चाहता हूँ पर ग़म के दलदल में धँसता हूँ..!

बात होती है जब भी महफ़िल में तेरी,
उलझनें बढ़ जाती हैं और मैं फँसता हूँ..!

कोई देख न ले आँखों में उदासी मेरे,
बात टाल कर मैं जोर जोर से हँसता हूँ..!

©SHIVA KANT
  #tereyadonkeshahar