" अब ओ पहले वाला इतवार नहीं आता " पहले तो हम लोग सोचते थे कि कब इतवार आये कि हम अपने दोस्तों से मिलकर अपनी खुशियाँ बाटेगें और बजार जायेंगे पार्टि मनायेंगे , क्रिकेट खेलेंगे , लुडो खेलेंगे , गोली खेलेंगे लट्टू नचायेंगे , और हा ओ पत्तियों के फिरिंगीं नचायेगें.... लेकिन अब ओ इतवार गया , .ओ खेल गया ओ खुशियाँ गयीं ओ दोस्तों गयें, सब गया, अब किसी को कहाँ इन्तज़ार रहता हैं इतवार का ..? कहाँ याद आता हैं ओ खेल ....? " Happy Sunday '' "✍️ Nitish kumar ,, #Freedom अब ओ इतवार कहाँ आता हैं .....?