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इक तन्हाई के सिवा! संग हमारे रहा न कोई, इक रुस्वाई

इक तन्हाई के सिवा!
संग हमारे रहा न कोई,
इक रुस्वाई के सिवा!
बाहें उठी थी अनगिनत,
शुरुआत जब गमन का हुआ!
पहुंचा ज्यूँ करीब मंजिल के,
थी साथ सिर्फ वीरानियाँ!!

©Faniyal
  #मंजिल_ए_दास्तां