मैं गरीब, वो अमीर कुछ हिस्सों में हम सब को उसने है बाँट दिया हम सब को उसने देकर हमको वरदानों की झोली है अभिशाप दिया उनको उसने भरकर मेरे तरकश को खुशियों से उनके राहों को काटों से सींच दिया क्या जुर्म किया था उस मासूम ने भैया क्या थी उसकी गलती बतलाओ देकर हमको मखमल की चादर उस नन्हे को नंगा ही छोड़ दिया कुछ हिस्सों में हम सब को तुने है बाँट दिया हम सब को तुने उन नैनों को क्या अधिकार नहीं है कुछ स्वप्न सुहाने संजोने का उनका चरित्र क्या चरितार्थ नहीं है इस सृष्टि में चर्चित होने का फिर असंगतियों से क्यों तुमने है पाला क्यों आशाओं के समक्ष भूधर आया है देकर के भीत निशा का दृश्य वो दिनकर भी उनको भूल गया है कुछ हिस्सों में हम सब को तुने है बाँट दिया हम सब को तुने #मैं गरीब वो अमीर #YQDidi #yoprowrimo #AlokJiWrites