गहन अंधियारी रात में सूरज की किरण कैसा अनहोना ख़्वाब देख रहीं आँखें मेरी रूठा हैै तू किस कदर दूर है बहुत मुझसे बाँहों में तेरी ख़ुद को मैं देख रही जाने कैसे चुप है तू चुप हूँ मैं ख़ामोशी है बीच हमारे खिल-खिला रही मैं प्रेममग्न तेरे संग कैसे टूट चुके ख़्वाब मेरे जिसमें था तू साथ मेरे हाथों में हाथ डाले चल रही साथ तेरे कैसे Muनेश ..Meरी✍️ 🌺 सुप्रभात। ये वो ख़्वाब तो नहीं जो रात आँखों ने देखा था। #कैसाख़्वाबहै #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi