" कुछ एकीन आये तो क्या करोगे , इस उधेड़बुन में दिल को कौन सा दिलाशा दिया जाये , हम इश्क तेरे इस कदर चूर लगते हैं , कोई हाले दिल देख के नज़र चुराये तो क्या करोगे . कसमें-कस हैं ख्याल तेरा इस तरह , तुम जान के भी अजनबी बन जाओगे तो क्या करेंगे ." --- रबिन्द्र राम " कुछ एकीन आये तो क्या करोगे , इस उधेड़बुन में दिल को कौन सा दिलाशा दिया जाये , हम इश्क तेरे इस कदर चूर लगते हैं , कोई हाले दिल देख के नज़र चुराये तो क्या करोगे . कसमें-कस हैं ख्याल तेरा इस तरह , तुम जान के भी अजनबी बन जाओगे तो क्या करेंगे ." --- रबिन्द्र राम