#2 " तड़प और राहत " यह देख मुझे डर सा लगा और सारी नाराजगी छोड़ इसके लिए पानी और एक कपड़ा लेते आई। फिर हौले हौले उसके माथे पर कपड़े भिगो भिगो कर रखने लगी। कुछ घंटों बाद जब लगा कि अब अच्छे से सो रही है. तब मैं भी उठी और सोने चल पड़ी,पर विस्तर से उतरते ही उसने मेरी हाथ पकड़ धीमी से आवाज में बोली "सुनो कुछ देर और रुक जा ना"। फिर क्या उसकी बातों में इतनी मासूमियत देख मैं खुद को रोक ना पाई और उसके हाथों को थाम, उसके गालों को थपथपाते हुए सीने पर सिर रखकर सो गई। #2 तड़प और राहत #lgbt#lesbian#hindi#poem#nojoto