जब तुम लेटे होगे मृत्यु की शैया पर जिंदगी के आखिरी पलो की ढईया पर तब तुम क्या सोच रहे होंगे? : जो कमाया क्या साथ ले जा पाओगे जो निभाया क्या साथ ले जा पाओगे क्या जो गवाया उसके बारे में सोचोगे? या जो भी पा पाए उसके बारे में सोचोगे? : : अपनी गलतियों के लिए मलाल करोगे? खुद से आखिरी पलो में सवाल करोगे? या सोचोगे उन लोगो के बारे में तुम जिन लोगो के दिल को तुमने ठेस पहुंचाई : जिंदगी के बिताये पल याद करोगे... अपनी बीती कहानी आबाद करोगे भुलना चाहोगे जिन पलो ने परेशान किया? या सोचोगे उन पलो को जिन्होंने हैरान किया : : सोचोगे की अब किस सफर पर जाओगे? क्या लौटकर इस सफर को वापस आओगे? उस वक्त क्या आत्म चिंतन होगा? क्या आख़िरी वक्त में भी कुछ मंथन होगा? . . .सोचोगे की आख़िरी चार कंधे किसके होंगे? तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे धंधे किसके होंगे रूपया,ज़ायदाद,गाड़ी, कपड़े कौन संभालेगा तुम्हारे जाने के बाद ये घर कौन खांगलेगा? . . .या सिर्फ सोचोगे की अब शांति होगी जीवन के अंत मे न कोई भ्रांति होगी। मृत्यु के शैया के पास, तुम्हारे शरीर के पास जरूर तुम्हारे अपने, बेगाने विलाप करेंगे। पर तुम स्थिर होंगे और शांत भी। तो बेहतर होगा तुम कुछ न सोचो।। . . .सिर्फ उसके पास विनती करो अपने किये कर्मो की गिनती करो और चले जाओ इस मायाजाल से दूर मन और चित्त को शांत करके क्योंकि शायद तब ख़ुदगी जलती चिता में तुम सत्य को जान लोगे। - रोहित शर्मा #lifeafterdeath