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उत्सव की रात ------------------- मन के कोने में

उत्सव की रात
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मन के  कोने में  कोई शमां जल गई।
इन अंधेरों को फिर रोशनी मिल गई।
धड़कनों ने भी उत्सव शुरूकर दिया
आजकी रात दुल्हन सी यूँ सज गई।

देख कर तेरी महफ़िल की रंगीनियाँ।
जन्नती सी फिजाओं की मेहमानियाँ।
फ़लसफ़ा ए मोहब्बत हक़ीक़त हुआ
मेहरबाँ जो हुए मुझ पे दिलजानियाँ।

दिखती नहीं मुस्कुराहट कभी
उन लबों को नई ज़िन्दगी मिल गई।
धड़कनों ने भी उत्सव शुरूकर दिया!
आज की रात दुल्हन सी यूँ सज गई। उत्सव की रात
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मन के  कोने में  कोई शमां जल गई।
इन अंधेरों को फिर रोशनी मिल गई।
धड़कनों ने भी उत्सव शुरूकर दिया
आजकी रात दुल्हन सी यूँ सज गई।

देख कर तेरी महफ़िल की रंगीनियाँ।
उत्सव की रात
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मन के  कोने में  कोई शमां जल गई।
इन अंधेरों को फिर रोशनी मिल गई।
धड़कनों ने भी उत्सव शुरूकर दिया
आजकी रात दुल्हन सी यूँ सज गई।

देख कर तेरी महफ़िल की रंगीनियाँ।
जन्नती सी फिजाओं की मेहमानियाँ।
फ़लसफ़ा ए मोहब्बत हक़ीक़त हुआ
मेहरबाँ जो हुए मुझ पे दिलजानियाँ।

दिखती नहीं मुस्कुराहट कभी
उन लबों को नई ज़िन्दगी मिल गई।
धड़कनों ने भी उत्सव शुरूकर दिया!
आज की रात दुल्हन सी यूँ सज गई। उत्सव की रात
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मन के  कोने में  कोई शमां जल गई।
इन अंधेरों को फिर रोशनी मिल गई।
धड़कनों ने भी उत्सव शुरूकर दिया
आजकी रात दुल्हन सी यूँ सज गई।

देख कर तेरी महफ़िल की रंगीनियाँ।