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#OpenPoetry व्हमी अंसियत की कहानी जो उठे हैं सवाल

#OpenPoetry व्हमी अंसियत की कहानी
जो उठे हैं सवाल मेरी इन मज़हबी बातों पर,
तो आज चलो मैं तुम्हे ये भी बतलाए देता हूं।
की ना मैं दर्द बेचता हूं और ना सुकूं,
मैं तो बस जीने का जुनून बेचता हूं।।
अब वो अंधे जमघट की तरह मेरी बातों से इख्तियार करते हैं,
तो उसमे आखिर हमारा क्या दोष?
मेंने उसे मोहब्बत बेची या बेचा नफ़रत का संदेश,
क्या इस बात का इल्म आखिर उसे नहीं होना चाहिए था।।।
क्यूंकि हमने तो बस वही बेचा जो हमें ठीक लगा,
फिर वो क़ुरान का ज़िक्र हो या गीता का सार,
गुरुओं की बानी हो या बाइबिल का आधार।
क्युकी मैने समझा इन लिखावटों को भी उसी तरह,
जिस तरह किसी कहानी की किताब में मेरी सोच चलती है;
ऊपर वाला तुम्हारी वफ़ा का सबूत चाहता है ये बात तो घर घर में बिकती है।।
वही सब मैं बेचूंगा जो मेरे जी में आएगा,
इन सब में कोई ऐसा कहां जो मुझे ग़लत बतलाएगा।
क्यूंकि अगर मुझ पर जो अंगशत उठी,क्या वो अपनो के ही हाथों ना मारा जाएगा।।
तुम चंद मुठ्ठी लोग,जो बातों से मेरी राब्ता नहीं रखते।
आखिर क्या बिगाड़ लोगे तुम,क्यूंकि बाकियों पर तो में वेताल बनके बैठा हूं,
मेरे उन्हें छोड़ने पर भी वो मेरे पास दौड़े चले आते हैं।।।। #OpenPoetry #nationalism #national #lovepoem #worldpeace #poetry #hindipoetry #independencedayspecial #lovenation #livehappy #livepeaceful #loveall #happy #life #poem #hindipoetry #urdupoetry #wordporn #speakurrlfout
#OpenPoetry व्हमी अंसियत की कहानी
जो उठे हैं सवाल मेरी इन मज़हबी बातों पर,
तो आज चलो मैं तुम्हे ये भी बतलाए देता हूं।
की ना मैं दर्द बेचता हूं और ना सुकूं,
मैं तो बस जीने का जुनून बेचता हूं।।
अब वो अंधे जमघट की तरह मेरी बातों से इख्तियार करते हैं,
तो उसमे आखिर हमारा क्या दोष?
मेंने उसे मोहब्बत बेची या बेचा नफ़रत का संदेश,
क्या इस बात का इल्म आखिर उसे नहीं होना चाहिए था।।।
क्यूंकि हमने तो बस वही बेचा जो हमें ठीक लगा,
फिर वो क़ुरान का ज़िक्र हो या गीता का सार,
गुरुओं की बानी हो या बाइबिल का आधार।
क्युकी मैने समझा इन लिखावटों को भी उसी तरह,
जिस तरह किसी कहानी की किताब में मेरी सोच चलती है;
ऊपर वाला तुम्हारी वफ़ा का सबूत चाहता है ये बात तो घर घर में बिकती है।।
वही सब मैं बेचूंगा जो मेरे जी में आएगा,
इन सब में कोई ऐसा कहां जो मुझे ग़लत बतलाएगा।
क्यूंकि अगर मुझ पर जो अंगशत उठी,क्या वो अपनो के ही हाथों ना मारा जाएगा।।
तुम चंद मुठ्ठी लोग,जो बातों से मेरी राब्ता नहीं रखते।
आखिर क्या बिगाड़ लोगे तुम,क्यूंकि बाकियों पर तो में वेताल बनके बैठा हूं,
मेरे उन्हें छोड़ने पर भी वो मेरे पास दौड़े चले आते हैं।।।। #OpenPoetry #nationalism #national #lovepoem #worldpeace #poetry #hindipoetry #independencedayspecial #lovenation #livehappy #livepeaceful #loveall #happy #life #poem #hindipoetry #urdupoetry #wordporn #speakurrlfout
sunidhirai3575

Sunidhi Rai

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