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जकड़ा है दिल ए नफरत की गर्मी से, तो आग जलाकर क्या

जकड़ा है दिल ए नफरत की गर्मी से, तो आग जलाकर क्या करें, 
गवाह अपना ही हो जाए अपने खिलाफ, तो फरियाद लगाकर क्या करें, 
आने से उनके रोशनी होती हमारे महफिल में, मगर वो नहीं आए, 
तो अंधेरे कमरे में अब हम चिराग जलाकर क्या करें।

©Ranjeet Kumar
  /चिराग जलाकर क्या करें //#हिन्दीदर्दभरीशायरी//💔💔🖋रंजीत कुमार //#सैड शायरी...

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