छोड़कर साहिल पर वो जाता रहा दूर बहुत दूर लहरों में हिचकोले खाते कश्ती को आंखें देख रही थी जाते उसे मजबूर,,,, छोड़कर साहिल पर वो जाता रहा दूर बहुत दूर लहरों में हिचकोले खाते हुए कश्ती को आंखें देख रही थी होके मजबूर जाते देख उसे बहुत दूर,,,, हाथ छुड़ाकर यादों को पोटली में बांधे एहसासों की चिलमन में जला के दे गया था उम्र भर के लिए उदासी तोहफे में,,,,,