किरदार वस्फ़ मुझमें एक ज़रा सा है किरदार मुझमें एक नया सा है गर्दिश-ए-बख़्त में लाज़मी है लग़्ज़िश फ़ितरत-बाज़ हूं ये सब जानते हैं दिल-आज़ारी नहीं करता मैं ख़ुद पर भी इसको सब जानते हैं फिर भी हौसले को परखने की कोसिस इस शहर के हर किरदार ने किया कहानी वही रही इस दफा भी मैंने वही कहा जो मेरे किरदार ने किया। Hope you all are having a Good day Thanks for reading my post