सुनसान पहाड़ी में तेरे साथ बिताई वो भयानक रात, मशरूफ थी तेरी बातों में, अचानक आ गया वहां पर शेर, सारे इरादे हो गए ढैर, डरी सहमी तेरे पीछे छिप गई, बाहों में तेरे लिपट गई, तूने भी हिम्मत दिखाई, शेर को आंखें घूराई डर में दिमाग और तेज चलता दिल जैसे जोर जोर से धड़कता तुम्हें भी एक तरकीब सूझ आई जलती हुई एक लकड़ी उठाई शेर की तरफ फेक गिराई काम आई तुम्हारी चतुराई शेर भाग के गया जंगल में ली तसल्ली की सांस हमने फिर तारों भरी रात में वही खुशनुमा एहसास में , 'कुछ नया' काल्पनिक,,,, पूरा कैप्शन में है सुनसान पहाड़ी में तेरे साथ बिताई वो भयानक रात, मशरूफ थी तेरी बातों में, अचानक आ गया वहां पर शेर, सारे इरादे हो गए ढैर,