हजारो ख्वाहिशो का बोझ लिए चलता है एक पिता जो अपनी सारी उम्र गुजार देते है हमारी छोटी बड़ी ख्वाहिशो को पूरा करने मे हजारो दर्द होते है उनके भी दिलो मे पर कहे भी तो किससे बस एक एहसास बन कर रह जाता है । हजार ख्वाहिशें