ना सोचा ना समझा बस करता चला गया, हा ऐतबार उन पर हर बार करता चला गया। ना कोई अहसास ना कोई उम्मीद की तुम से, हा कुछ ज्यादा तेरी ओर झुकता चला गया।। तु अंजान सी थी मेरे हर फसाने से, मैं अकेले ही तेरा इंतज़ार करता चला गया। सास टूटने को आयी तो जागा नीद से, मैं ख्वाब तेरे दिन रात देखता रह गया।। ©Aman Shukal #himashushuklawriting