महाभारत में सबसे बड़ा सवाल यही है कि योग्य कौन है और यदि कोई योग्य है तो उस समाज द्वारा कैसा प्रदर्शन दिया जाएगा समूचे विश्व में सामाजिक संघर्ष की एक बड़ी लड़ाई इस सवाल में ईद की ईद ही घूमती है वर्ष 1998 ब्रिटिश समाजशास्त्र और राजनीतिक माइकल यंग ने एक पुस्तक लिख दिए द राइज ऑफ़ मेरीटोक्रेसी इस पुस्तक में उन्होंने एक ऐसे समाज की बात की है जहां व्यक्ति के पद सकता और आर्थिक संपन्न उनकी योग्यताओं के आधार पर प्राप्त होंगे पश्चिमी देश में आज भी इस तरह के आंकड़ों के आधार पर योगिता को मौका दिया जाता है लेकिन इस तरह के सबसे बड़े प्रश्न यह है कि योगिता का पैमाना किसे ते किया जाए और कैसे योग्य है कौन नहीं है योग्यता का निर्धारण करते समय प्रत्येक व्यक्ति को मिल रहे अवसरों की समानता सामाजिक आर्थिक और लैंगिक असमानता के स्तर को भी ध्यान रखने में होंगे सवाल उठता है कि जिस व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास का अवसर ही नहीं मिला क्या वह आयोग माना जाएगा हमारे जटिल समाज में विवेक जाती प्रजाति धर्म बोली भाषा लिंग पर आधारित तिथियों और अनेक देशों से जुड़ी आसमा से भी किसी व्यक्ति की योग्यता का निर्धारण होता है इसी बिंदु को नकार नहीं जा सकता भारतीय संविधान के निर्माता इस बात से बहुत अच्छे से अवगत थे इसलिए उन्होंने संविधान का निर्माण करते समय अवसरों की समानता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक व आर्थिक न्याय की संकल्पना को भी ©Ek villain #योग्यता के चुनाव की पहल #Moon