तेरे बाद सावन भी रिमझिम लगा करे, महफ़िल तन्हाई का आलम लगा करे। तुमने मेरी ज़िंदगी ये किधर मोड़ दी हैं, हर रास्ता, तेरे घर का रास्ता लगा करे। तेरी यादें लिए, मैं जिस सुबह बैठती हूॅं, हर बार दिन ठिठककर शाम लगा करे। तब से लेकर आज तक ऑंसू सूख गए, रो रही हूॅं तबसे दिल ये बोझ लगा करे। तुम आना देर-सवेर मैं इंतज़ार करती हूॅं, तेरा वक्त पाना, मुझको ईनाम लगा करे। 'भाग्य' से तुम कब तक लड़ोगे? साथी, ये सफ़र अकेले काटना नासूर लगा करे। ♥️ Challenge-972 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।