आज भँवर में फसी हुई देखो एक अबला नारी है राजनीति में चीरहरण की फिर से अब तैयारी है। आजम बने दुशाशन , फिर से सभा सजा के बैठे हैं देकर बयान भद्दा सा वह सीना तान कर ऐंठे हैं। मुँह बंद करना आजम का अब तो बहुत जरुरी है मर्द वही चुपचाप खड़े हैं जिनके हाथ में चुरी है। ना शर्म है बांकी आजम में, ना तो कोई मलाल है आजम के जो साथ खड़े हैं सबसे बड़े दलाल हैं। चीरहरण में दुश्शासन का जो साथ निभाने आएँगे इतिहासों के पन्नो में वे सब कायर कहलाएंगे । लक्ष्मीबाई के तलवारों की खनक सुनानी ही होगी खिलजी के औलाद को नानी याद दिलानी ही होगी। जौहर का अध्याय न भारत में अब बांटा जाएगा फिर अपमान हुआ नारी का सीधा जीभ ही काटा जाएगा। कवि ~ अंकित दुबे #againstaazamkhan#suportjayaparda#stopvoilence