मुफ्त में जमाने में कोई चीज नहीं मिलती,, यूं तो आजमाने में जिंदगी तमाम गुजरती,!! बदकिस्मती का आलम यूं तो आम है,, महफिलों में नुमाइशओ का जाम है!! शोहरतें मंजिलें भी शहंशाहो की जागीर है,, काबिलियत सड़कों पर तमाशा करती है!! टूट जाता है वो आदमी जो, बेचारगी से तड़पता है,, उसी रास्ते से आए दिन, वो गुजरता है,, जिन रास्तों में कीमती चीजों का बाजार लगता है!! उसकी ख्वाइशों का कत्ल सरेआम होता है,, तिल तिल के वो दिन रात रोता है!! हर आंसू उसे कठोर बनाता जाता है,, उसकी नरमी उसकी अच्छाई का गला घोटता जाता है,,,,, "एक मजदूर आदमी,,,,, #मजबूरआदमी #मजदूर #hardwork