ज़िन्दगी भी थी जल्दी भी थी और ज़रुरत भी था।। गम था खुशियां भी थी और फूलों के बहार भी था।। इस कदर पल के दीवाने हूए हैं हम।। कि क्या करें।। साला वक्त ही बहुत कम था।। छवि कर्मकार ©chhavi karmkar छवि कर्मकार #womensday2021