ये जो तुम्हारें होंठो की सलवटें है.. जिसमें मोहब्बत की प्यास है.. ये जो झुल्फ़े है तुम्हारी जैसे अमावस की रास्त है ये जो आँखे तुम्हारी मुझसे मिलने को तड़प रही है.. ये जो सांसे तुम्हारी जोरो से धड़क रही है... पकड़ के हांथ तुम्हारा अपने करीब कर लूंगा.. जकड़ के अपनी बाहों में तुमसे खुद से ज्यादा मोहब्बत कर लूंगा.. Ps ©Gita Pankaj Singh