ज़िंदगी में मुश्किलें कितनी हो, हौसलें को डिगा नहीं सकता ! दर- ब - दर ठोकरें मिली सबसे, मुफ़लिसी को भुला नहीं सकता! बाद मरने के दफ़्न हूँगा यही, मुल्क़ को छोड़ जा नहीं सकता! ©Writer L B Yadav मुल्क #KashmiriFiles