तुम और तुम्हारी 350क्लासिक बुलेट देखते ही ना जाने क्या हो जाता है राह चलते भी दिख जाती है तो एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है पूरे बदन में, तुम्हारे साथ वो पहली बार बुलेट पर बैठना, इतनी दूर बैठी थी मैं कि कोई तीसरा भी एडजस्ट हो जाए। खैर, धीरे धीरे तुमने मुझसे झिझक से दूर किया और अपना हाथ पीछे करते हुए मेरे हाथ को पकड़ा और मेरी हथेली को चूमा मानो जैसे कह रहे हो, परेशान नहीं हो, "हम हैं ना", "मै हूं ना" "सलोनी" #पहली#राइड