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$$ बचपन की ना समझी और नादानियां ही अच्छी थी, जैसे-

$$ बचपन की ना समझी और नादानियां ही अच्छी थी, जैसे-जैसे बड़े हुए, ना समझी में थोड़ी समझदारी बढ़ी, कुछ और बड़े हुए तो जिम्मेदारियां बढ़ी, कुछ पल के सुकून के इंतजार में जीवन आगे बढ़ी, कुछ पल ठहरकर पीछे मुड़कर देखें तो सोचने लगे , बचपन का जीवन ही अच्छे मगर लौट के आते नही है.।।$$ @mit $$

©Amit Gorakhpuri
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