मेरी एक भूल ज़िन्दगी को दे गई धूल नश्तर सी चुभन दिल में एक शूल मैं थी एक नाज़ुक कली बन गई कांँटों भरी फूल दर्द मिला कुछ ऐसा ज़िन्दगी बन गई बबूल दिल को मिला कसक सी हूक सच बताती ज़िन्दगी दो टूक मेरी एक भूल का ये ही हुसूल सब भूल कर कर लिया खुशी वसूल कहती है ज़िन्दगी अपनी बा–उसूल करो मोहब्बत ख़ुद में रह मशग़ूल दर्द सा बन चुभता हूल ज़िन्दगी गुज़री बन मलूल ना पकड़ो कोई तुम तूल ज़िन्दगी में रखो तुम एक उसूल बीते अच्छे बुरे वक्त को जाओ भूल भूल की सच्चाई बताए कोई माक़ूल ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1107 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।