परोपकार का फल✍️ एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ| भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, कर्मवश सांप होने से क्या यह भी तो एक आत्मा है| तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?” व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे तो वह भी तुम्हे कटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मरोगे तो वह भी तुम्हें क्यों काटेगा|ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया! कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे| तभी उन्हें रास्ते में सामने फेन फैलाए एक सांप दिखाई दिया| संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुआ| आखिर में एकनाथ मुड़कर दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए| उजाला होने पर लौटे तो देखा, बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था, अगर सांप ने ना बचाया होता तो संत एकनाथ उस गड्ढे में कबके समां चुके होते| इसीलिए कहा गया है :-""दया और परोपकार हमेशा अच्छा फल लेकर आते हैं"| ©pihu Siddharth #मेरी_कलम_से✍️ #मेरी_कहानी