अंग्रेज़ भी हो गए थे फुर्र, जिसके आने पर अाई थी ऐसी आंधी। जिस पर उदय दुलारी नेह निबंध लिखेगी, वो है महात्मा गांधी।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े 👇👇 प्रस्तावना - हमारे देश की धरा स्वर्ग से कम नहीं है, हमारे देश में ऐसे कई महान पुरुष और स्त्रियों ने जन्म लिया है, जिसने एक नई गाथा लिखा है....और जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। हमारे देश में ऐसे कई महान पुरुषों का उदय हुआ है जिन्होंने अपने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है, अपना तन मन धन सब कुछ अर्पण कर दिया है और आज उन्हीं में से परम पूजनीय महात्मा गांधी जी के बारे में लिखूंगी..।। जीवन परिचय - महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था जिन्हें हम सब महात्मा गांधी के नाम से जानते है। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था। इनकी माता जी का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था। ये तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। इसके पिता काठियावाड़ में दीवान थे। बाल्यावस्था और प्रभाव - गांधी जी का परिवार बहुत ही धार्मिक प्रवित्त का था, और इसे ख़ुद गांधी जी ने "सत्य के साथ में प्रयोग" में बताया है की बाल्यकाल में उनके जीवन पर, परिवार और मा के धार्मिक वातावरण और विचार का गहरा प्रभाव पड़ा। राजा हरिश्चंद्र के नाटक से नन्हे गांधी के मन में सत्य निष्ठा का बीज पड़ा। गांधी जी बताएं है की वो बचपन में बहुत ही हठी स्वभाव के थे परन्तु घर का वातावरण उनमें बदलाव लाया।। शिक्षा - अब हम गांधी जी के शिक्षा की बात करते है....गांधी जी की पढ़ाई लिखाई स्थानीय स्कूलों में हुई। गांधी जी पहले पोरबन्दर के प्राथमिक विद्यालय में पढ़े और उसके बाद राजकोट स्थित अल्बर्ट हाईस्कूल में पढ़े। पढ़ने लिखने में गांधी जी बिल्कुल औसत थे।