मन का ज्वार भाटा सतत चलता रहता है जब कलम चलती है तन्हाई के आलम तो दिल से कविता गीत गजल निकलती है कागज पर मोतियों के मानिंद शब्द जड़ जाते है और पढ़ने वाले कि आँखे चमक उठती है अपने स्वयं की कल्पना करके बिन धागे का जुड़ाव होता है...तन्हाई के आलम में लिखना नायाब होता है तन्हाई के आलम में उदासी के मौसम में कविता का जन्म होता है। रचें अपनी कविता। Collab करें YQ Didi के साथ। #तन्हाईकेआलममें