अजीब है तेरी खामोशी भी , भीड़ में भी मुझसे सवाल करती है। हाँ अजीब है तेरी खामोशी भी मेरे अपनों में भी जवाब ढूंढती है, मैं तुझसे दूर रह लू , मग़र तेरी ख़ामोशी साया होती है। अब जब लिख़ने लगा हूँ तुझको तो सवाल उठ रहे है, ख़ामोश वो है मगर तू क्यों उदास हैं? इस जमाने मे वहम का क्या मोल है? कल सभंर जाएंगे पन्ने जब रंगों की बरसात होंगी? रुख जाएंगे क़दम जब अपनो की तलाश होगी? क्या नम है जो जान वो चहक उठेंगी? सब वहम तेरा , मैने देखा है उसे खुद से बातें करतें मैने देखा है उसे नज़रे चुराते, वो वक्त को यही छोड़ देना चाहती है , वो कही दूर जाना चाहती है। #चंद किस्से ज़िन्दगी के #smile☺️ Suman Zaniyan Flux Hale