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यह कैसी तृष्णा है कि तुमसे मिलने को बेचैन रहूं, जब

यह कैसी तृष्णा है कि तुमसे मिलने को बेचैन रहूं,
जबकि मैं यह जानता हूं कि यह मुमकिन नहीं है।
तुमने कई बार मुझसे कहा कि मैं तुम्हें भूल जाऊं,
तुम मुझे याद न आती हो ऐसा कोई दिन नहीं है।

©Amit Singhal "Aseemit"
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