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सीताहरण को तत्पर है जो रावण उन दुष्टों का अविलंब स

सीताहरण को तत्पर है जो रावण
उन दुष्टों का अविलंब से वध हो।
लक्ष्मण सा भ्रातृत्व प्रकाशित रहे
घर-परिवार नही कोई कलह हो।
हर बच्चे पर आशीष, ममता का
न कोई बच्चा जग में अनाथ हो।
पति-पत्नि रहे साथी बनकर सदा
न ही सीता की अग्निपरीक्षा हो।
रहे चाहे अकेले इस संसार मे हम
परन्तु विभीषण सा भाई नही हो।
आंगन खुशियों के दीप जगमगाते
मुबारक यें आपको पवित्र पर्व हो।
🙏🏻🪔 जय श्रीराम 🪔🙏🏻

©Anil Ray राम का वास :- संस्कृत में 'रा' का अर्थ है "जो प्रकाशमान है" वह है राम। सत्ता के कण-कण में जो प्रकाशमान है वह राम है। राम दशरथ और कौशल्या के सुपुत्र थे। दशरथ का शाब्दिक अर्थ है देश रथों वाला। यह हमारी पाँच कर्मेंद्रियों और पाँच ज्ञानेन्द्रियो का प्रतीक है तथा कौशल्या का अर्थ है 'कुशलता'। दशरथों का कुशल सारथी ही राम को जन्म दे सकता है। जब पाँच कर्मेंद्रिय और पाँच ज्ञानेन्द्रिय कुशलतापूर्वक व्यवहार में लाई जाती है, तब अन्दर से प्रकाश का उदय होता है। राम का जन्म अयोध्या में हुआ और अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है वह स्थान जहाँ कभी युद्ध नही हो सकता।
जब हमारे मन में द्वन्द्व नही होता, तब ही प्रकाश स्वयं प्रकाशित होता है। राम के भाई लक्ष्मण जन्में सुमित्रा से - सुमित्रा अर्थात 'अच्छी मित्र'। जब तुममें पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँचों कर्मेंद्रियाँ मिलकर कार्य करती है तो सजगता पैदा होती है, तुम प्रकाशमान होते हो। जानों कि तुम प्रकाश हो, राम हो, ब्रह्म हो, भगवान हो। यही चिरस्थाई सनातन सत्य है।
वेदांत सिद्धांत भी यही व्याख्या करता है:-
   "सामवेद :    तत्वमसि
     ऋग्वेद  : प्रज्ञानम् ब्रह्म
     अर्थवेद : अयमात्मा ब्रह्म
     यर्जुवेद : अहम् ब्रह्मास्मि"
🔴 ब्रह्मोपनिषद : अप्राण हूँ, अमुख, अचिंत्य और अक्रिय हूँ।
सीताहरण को तत्पर है जो रावण
उन दुष्टों का अविलंब से वध हो।
लक्ष्मण सा भ्रातृत्व प्रकाशित रहे
घर-परिवार नही कोई कलह हो।
हर बच्चे पर आशीष, ममता का
न कोई बच्चा जग में अनाथ हो।
पति-पत्नि रहे साथी बनकर सदा
न ही सीता की अग्निपरीक्षा हो।
रहे चाहे अकेले इस संसार मे हम
परन्तु विभीषण सा भाई नही हो।
आंगन खुशियों के दीप जगमगाते
मुबारक यें आपको पवित्र पर्व हो।
🙏🏻🪔 जय श्रीराम 🪔🙏🏻

©Anil Ray राम का वास :- संस्कृत में 'रा' का अर्थ है "जो प्रकाशमान है" वह है राम। सत्ता के कण-कण में जो प्रकाशमान है वह राम है। राम दशरथ और कौशल्या के सुपुत्र थे। दशरथ का शाब्दिक अर्थ है देश रथों वाला। यह हमारी पाँच कर्मेंद्रियों और पाँच ज्ञानेन्द्रियो का प्रतीक है तथा कौशल्या का अर्थ है 'कुशलता'। दशरथों का कुशल सारथी ही राम को जन्म दे सकता है। जब पाँच कर्मेंद्रिय और पाँच ज्ञानेन्द्रिय कुशलतापूर्वक व्यवहार में लाई जाती है, तब अन्दर से प्रकाश का उदय होता है। राम का जन्म अयोध्या में हुआ और अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है वह स्थान जहाँ कभी युद्ध नही हो सकता।
जब हमारे मन में द्वन्द्व नही होता, तब ही प्रकाश स्वयं प्रकाशित होता है। राम के भाई लक्ष्मण जन्में सुमित्रा से - सुमित्रा अर्थात 'अच्छी मित्र'। जब तुममें पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँचों कर्मेंद्रियाँ मिलकर कार्य करती है तो सजगता पैदा होती है, तुम प्रकाशमान होते हो। जानों कि तुम प्रकाश हो, राम हो, ब्रह्म हो, भगवान हो। यही चिरस्थाई सनातन सत्य है।
वेदांत सिद्धांत भी यही व्याख्या करता है:-
   "सामवेद :    तत्वमसि
     ऋग्वेद  : प्रज्ञानम् ब्रह्म
     अर्थवेद : अयमात्मा ब्रह्म
     यर्जुवेद : अहम् ब्रह्मास्मि"
🔴 ब्रह्मोपनिषद : अप्राण हूँ, अमुख, अचिंत्य और अक्रिय हूँ।
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Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator