देख कर भी न देखने का दिखावा कर रहे हो मुहब्बत है तो सही पर बहाना कर रहे हो, छुप-छुप कर क़िस्से सुन रहे हो सब से हमारे हमारे आते ही उठ जाने का बहाना कर रहे हो, तिरछी नज़रों से तराशने का हुनर है तुम मैं अचानक नज़रों को गिराने का बहाना कर रहे हो, हँसते हो आते ही मेरा ज़िक्र महफ़िलों मैं हम ही से हँसी छिपाने का बहाना कर रहे हो, मेरी सखियों से बात पर तेरा जलना एक निशानी है मुहब्ब्त छुपती नहीं, छिपाने का बहाना कर रहे हो। #muhabbat#sakhiyan#bahana#khoobsoorti#hide#poetry#nojoto#ghazal#shayri